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पार्ट-1...कश्मीरी पंडितों के बिना सूने हैं राजा राम के पहाड़:ओडिशा के आदिवासियों को सीता का श्राप, बंगाल में 25 रामायण

 

राम की 15 कहानियां

पार्ट-1...कश्मीरी पंडितों के बिना सूने हैं राजा राम के पहाड़:ओडिशा के आदिवासियों को सीता का श्राप, बंगाल में 25 रामायण

श्रीनगर/कोलकाता/भुवनेश्वर12 घंटे पहलेलेखक: संध्या द्विवेदी/वैभव पलनीटकर

 

कश्मीर के सीता कुंड और राजा राम की लड़ी से लेकर ओडिशा के रामेश्वर पहाड़ और पश्चिम बंगाल के अयोध्या पहाड़ तक राम बने रहते हैं, भले ही भाषा और कहानियों के किरदार बदल जाएं।

 

22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर दैनिक भास्कर की विशेष सीरीज में हम लाए हैं ‘राम की 15 कहानियां’। ये कहानियां कश्मीर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, आसाम, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे भारतीय राज्यों की हैं। इसके अलावा नेपाल, तिब्बत, तुर्किस्तान, कंबोडिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड की भी रामकथाएं हैं।

 

आज इस सीरीज के पहले एपिसोड में कश्मीर, बंगाल और ओडिशा की तीन राम कहानियां…

 

पहली कहानी कश्मीर की राम कथा की: कश्मीरी पंडित चले गए, सीता कुंड वीरान हुआ
भारत-पाकिस्तान लाइन ऑफ कंट्रोल, यानी LoC से चंद किमी पहले उत्तरी कश्मीर का कुपवाड़ा जिला है। मुख्य शहर से 25 किमी आगे चलें तो एक गांव पड़ता है फरकिन। ये पहाड़ी गांव है। यहां तक सीधे गाड़ी से नहीं पहुंचा जा सकता। 4 किमी की खड़ी चढ़ाई है और पैदल ही पहुंचना पड़ेगा।

फरकिन गांव के शिखर पर पहुंचकर आप चारों तरफ से पहाड़ियों से घिर जाते हैं। गांव की ज्यादातर आबादी पहाड़ी गुज्जर-बकरवाल मुस्लिम है। हालांकि इन पहाड़ों को मुस्लिम लोग आज भी ‘राजा राम की लड़ी’ कहते हैं।’

 

पहाड़ों के संकरें रास्ते पर आगे बढ़ने पर एक कुंड नजर आता है। इसका नाम सीता सर है, जिसका मतलब है सीता का कुंड। कुंड के बगल से ग्रे चट्टानों का मलबा है। ये किसी पुरानी इमारत के अवशेष हैं। एक-दो पिलर अब भी खड़े हैं और पत्थरों पर सलीके से की गई कटाई के निशान बाकी हैं।

 

76 साल के बुजुर्ग मोहम्मद समंदर शेख की पूरी जिंदगी फरकिन में ही गुजरी है। ‘राजा राम की लड़ी’ और ‘सीता सर’ के बारे में पूछते ही वे अपना बचपन याद करने लगते हैं। वे बताते हैं, ‘जब कश्मीरी पंडित यहां रहते थे। वे अक्सर सीता सर कुंड आते थे।’

‘वे हमें बताते थे कि यहां सीता माई हुआ करती थीं। राम और सीता ने यहीं वनवास काटा था। राजा राम यहां के बादशाह थे और यहीं उनका घर भी था।’

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि कुंड के पास से ही रावण ने सीता का हरण किया था।

अपने लकड़ी के घर की खिड़की पर बैठे समंदर शेख पहाड़ों को देखते हुए कहते हैं, ‘मुझे अच्छे से याद है कि 40 बरस पहले तक कश्मीरी पंडित यहां आते थे। वो सीता कुंड के पास पिकनिक मनाते थे, खाना खाते थे। हम भी उनके साथ वहां बैठते थे और वो हमें कहानियां सुनाते थे।'

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